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आज भारत में नटराज और अप्सरा पेंसिल सिर्फ स्टेशनरी ब्रांड नहीं, बल्कि हर छात्र की पहचान बन चुकी हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन ब्रांड्स के पीछे तीन दोस्तों की ऐसी कहानी है, जो असफलताओं, मज़ाक और सीमित संसाधनों से लड़कर बनी है।
1950 के दशक में जब बी. जे. सांगवी, रामनाथ मेहरा और मनसुखानी ने पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग का विचार रखा, तो उन्हें ताने सुनने पड़े। लोग कहते थे, “पेंसिल बनाकर कौन अमीर बनता है?”
उस समय भारतीय बाज़ार पर विदेशी पेंसिलों का दबदबा था और देसी उत्पादों को कमतर समझा जाता था।
लेकिन तीनों दोस्तों ने हार नहीं मानी। बी. जे. सांगवी गरीबी और सीमित पूंजी के बावजूद अपने सपने पर डटे रहे। वे जर्मनी गए, जहाँ उन्होंने पेंसिल बनाने की आधुनिक मशीनों और तकनीक को समझा। भारत लौटने के बाद वे महीनों तक जंगलों में सही लकड़ी की तलाश में भटके और आखिरकार उन्हें पॉपलर वुड मिला, जो विदेशी सीडर का मज़बूत और सस्ता विकल्प साबित हुआ।
मशीनें खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए इन्होंने भारतीय इंजीनियरों के साथ मिलकर देसी जुगाड़ से खुद मशीनें तैयार कीं। यही आत्मनिर्भरता आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।
साल 1958 में हिंदुस्तान पेंसिल्स लिमिटेड की नींव पड़ी और इसके साथ ही आया नटराज 621 HB, जिसने धीरे-धीरे भारतीय बाज़ार में अपनी जगह बनानी शुरू की। कंपनी ने स्कूलों में फ्री सैंपल देने की रणनीति अपनाई। बच्चों और शिक्षकों ने गुणवत्ता को पहचाना और नटराज देशभर में लोकप्रिय हो गई।
इसके बाद 1970 में अप्सरा ब्रांड लॉन्च हुआ, जिसने आर्टिस्ट और प्रोफेशनल सेगमेंट में अपनी अलग पहचान बनाई। डस्ट-फ्री इरेज़र, प्रीमियम पेंसिल और शार्पनर जैसे इनोवेशन के साथ कंपनी ने लगातार अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को मज़बूत किया।
आज हिंदुस्तान पेंसिल्स
भारत के स्टेशनरी मार्केट में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है।
कंपनी रोज़ाना
80 लाख पेंसिल,
15 लाख शार्पनर,
और 25 लाख इरेज़र का उत्पादन करती है।
इसका सालाना ऑपरेटिंग रेवेन्यू करीब 500 करोड़ रुपये है।
यह कहानी सिर्फ पेंसिल बनाने की नहीं है, यह कहानी है हिम्मत, नवाचार, देसी इंजीनियरिंग और भारत में ब्रांड बनाने के आत्मविश्वास की।
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी को
महापरिनिर्वाण दिवस की कोटि कोटि शुभकामनाएं
🙏🏻🙏🏻💐💐
#महापरिनिर्वाणदिन #डॉबाबासाहेबआंबेडकर
#babasahebambedkar
यूँ ही खामोश बैठा था… पास स्टार आकर बैठी तो जिंदगी बदल गई! ✨
सोचिए — वो अपनी जिंदगी में संघर्ष कर रहा था, जेब में न एक पैसा, रहने का कोई वैध ठिकाना नहीं, हर दिन ट्रेन में गैर-कानूनी तरीके से सफ़र करना मजबूरी थी। 😔
और फिर … एक दिन ट्रेन में उसके बगल में वही लड़की बैठी — Macy Williams — वो हँसती-मुस्कराती हॉलीवुड स्टार, जिसे देख दुनिया भर में उसके लाखों-करोड़ों फैंस सिर्फ़ एक सेल्फ़ी के लिए तरसते हैं। 📸
पर उसने कुछ नहीं किया — न रोकने, न घूरने, न जानने की कोशिश। जब एक पत्रकार ने फोटो देख पहल की, वो आदमी मिल गया — म्यूनिख में — वो शख्स जिसने ‘पहचानने’ के बजाय बस अपनी मजबूरी को सीना ठोककर काटा। 🙏
उसकी इस सच्चाई, मजबूरी और ईमानदारी से इतने इंप्रेस हुए कि मशहूर जर्मन मैगज़ीन Der Spiegel ने उसे 800 यूरो/महीने की नौकरी पोस्टमैन की नौकरी दी। 💼
नतीजा — एक झटके में उसे कानूनी परमिट मिल गया, सफ़र की रोज़मर्रा की नौबत ख़त्म हुई, और उसकी मौत-गीरी जिंदगी से निकलकर नई शुरुआत हुई। 🎯
अगर कभी लगे कि आपकी किस्मत बदलने का इंतज़ार है — बस धैर्य रखें; क्योंकि कभी-कभी बदलाव आपके लिए किसी सेल्फ़ी जितना करीब होता है, लेकिन उसे पहचानने की हिम्मत कम होती है। ✨
कौन जाने — अगली बार आपकी जिंदगी बदल दे एक आम-सी मुलाक़ात, एक तस्वीर, और आपका सच्चा जवाब …
बाबूजी कल्याण सिंह —
जिन्होंने सत्ता की कुर्सी को राम की भक्ति से तौलकर हल्का पाया।
जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया था,
फिर भी जब रामलला की पुकार आई,
तो उन्होंने अपना सबसे बड़ा बलिदान दे दिया —
मुख्यमंत्री पद से तत्क्षण इस्तीफ़ा।
उस दिन कल्याण सिंह ने सिद्ध कर दिया कि
राम के लिए सत्ता नहीं,
सत्ता के लिए राम नहीं —
राम ही सब कुछ हैं।
आज जब भव्य राममंदिर में रामलला विराजमान हैं,
तब भी हर ६ दिसंबर को हिंदू दिल से कहता है:
“बाबूजी, तुमने जो वचन दिया था,
वह पूरा हुआ।
तुमने कुर्सी छोड़ दी थी,
हमने मंदिर बना दिया।
जय श्री राम!
लखनऊ स्थित सरकारी आवास सात कालिदास मार्ग पर संविधान शिल्पी ‘भारत रत्न’ बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के विचार हमें समानता, न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
लखनऊ स्थित सरकारी आवास सात कालिदास मार्ग पर संविधान शिल्पी ‘भारत रत्न’ बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि दी।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के विचार हमें समानता, न्याय और सामाजिक समरसता की दिशा में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।