Découvrir des postesExplorez un contenu captivant et des perspectives diverses sur notre page Découvrir. Découvrez de nouvelles idées et engagez des conversations significatives
गुस्सा बड़ा चतुर है... हमेशा कमजोर पर ही आता, क्योंकि वो जानता है ताकतवर नानी याद दिला देगा.!!
#church #christianworship #faithcommunity #religion #sundaymotivation #christianmusic #christianity #christiancommunity #bibleverse #sports
क्राउन प्रिंस अल हुसैन
पैग़म्बर मोहम्मद के 42वें पीढ़ी के प्रत्यक्ष वंशज हैं।
इस तस्वीर में जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय खुद गाड़ी चला रहे हैं…
और बगल की सीट पर बैठे हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
इधर देश का वही जाहिल ecosystem
चीख़-चीख़ कर माहौल बनाने में लगा है कि
भारत मुसलमानों के लिए सुरक्षित नहीं है।
और उधर…
दुनिया के मुस्लिम मुल्क
भारत के नेतृत्व को,
भारत के बढ़ते क़द को
अदब और सम्मान के साथ सलाम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी को
खुद गाड़ी चलाकर ले जाना
कोई औपचारिकता नहीं—
यह सम्मान है, भरोसा है, और स्वीकार्यता है।
👉 यह तस्वीर नहीं है…
👉 यह भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा की कहानी है।
जय हिंद 🇮🇳
अजीत डोभाल जिन्हें भारत का जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है उन्होंने 1980 के दशक में पाकिस्तान में एक भिखारी बनकर एक ख़तरनाक मिशन को अंजाम दिया था। अजीत डोभाल ने वहाँ भिखारी बनकर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की जासूसी की थी।
इस्लामाबाद से कुछ दूरी पर कहुटा गांव था. बाहर से साधारण सा गांव, लेकिन अंदर एक कड़ी सुरक्षा में छिपा खान रिसर्च सेंटर. यहीं पाकिस्तान का न्यूक्लियर प्रोग्राम पल रहा था. डोभाल जानते थे अगर यहां से सुराग न मिला तो पाकिस्तान दुनिया के सामने परमाणु शक्ति के रूप में खड़ा हो जाएगा.
लेकिन सवाल था अंदर कैसे जाएं? यहां कुत्ते तक पहचान लेते थे कि कौन अजनबी है. और तब अजीत डोभाल ने चुना एक ऐसा रूप, जिसे देखकर कोई किसी को भी शक ना हो और वो था एक भिखारी का भेष। इस मिशन में केवल उनकी जान खतरे में रही, बल्कि देश की सुरक्षा भी खतरे में जा सकती थी।
इस मिशन में अजीत डोभाल भिखारी बन कर पड़ोसी मुल्क में रहते थे और अपने मिशन पर काम करते थे। भिखारी के भेष में घूमते अजीत डोभाल को आते-जाते लोग भीख भी दिया करते थे। हालांकि, उन्हें किसी बात की कोई फिक्र नहीं थी। वह अपने मिशन पर लगे हुए थे। इस दौरान घूमते-घूमते वह एक दिन एक नाई की दुकान पर पहुंचे, जहां पर हर रोज खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक आया करते थे। डोभाल उस दिन भी दुकान के बाहर बैठे थे, लेकिन उनका ध्यान अंदर फर्श पर था, जहां पर बाल बिखरे थे। जैसे ही ख़ान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक बाल कटवाकर गए। अजीत डोभाल ने सावधानी से बालों को इकट्ठा किया और गुपचुप तरीके से भारत तक पहुंचा दिया।
जब वैज्ञानिकों ने उन बालों की जांच की तो परिणाम देखकर सभी दंग रह गए. बालों में रेडिएशन और यूरेनियम के कण मौजूद थे. ये सबूत था कि पाकिस्तान गुप्त रूप से परमाणु हथियारों पर काम कर रहा है. इस एक चालाकी भरे कदम से डोभाल ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर सपनों का पूरा नक्शा भारत के सामने रख दिया।