ये मोहतरमा पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थी। मोहतरमा ने ढे़र सारा इतिहास पढा़ हुआ था। और ज्यादा इतिहास पढ़ने की वजह से इन मोहतरमा की नस नस मे सेक्युलरिज्म की धारा बहती थी..
साहिबजादों को दीवार में चिनवाने का आदेश दिया गया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से कभी विचलित नहीं हुए।