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मां ये बड़ा योद्धा इस दुनियां में कोई नहीं है
तमिलनाडु के थूथुकुड़ी जिले की पेचियम्मल ने अपनी बेटी को सुरक्षित पालने के लिए 30 साल तक पुरुष की भेषभूषा में जीवन बिताया। शादी के मात्र 15 दिन बाद पति की मृत्यु होने पर, 20 वर्षीय पेचियम्मल को अकेले काम करते हुए सामाजिक असुरक्षा और शोषण का सामना करना पड़ा था।
बेटी की सुरक्षा के लिए उन्होंने अपनी पहचान बदलकर 'मुत्थू' नाम रख लिया। उन्होंने बाल कटवाए, लुंगी-शर्ट पहनी और पेंटिंग से लेकर चाय की दुकान तक 'मुत्थू मास्टर' बनकर काम किया। उन्होंने सार्वजनिक बसों और शौचालयों में भी पुरुषों वाली सुविधाओं का ही उपयोग किया। अब बेटी की शादी होने के बाद भी वह अपनी इसी पहचान के साथ ही शेष जीवन बिताना चाहती हैं।
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पेड़ों पर सफेद रंग इसलिए किया जाता है ताकि धूप की तेज़ गर्मी से तना न फटे, कीड़े या फफूंदी नहीं लगें। यह लेप नमी बढ़ाता है और पेड़ को सालभर हमेशा स्वस्थ रखता है। पेड़ों को नष्ट नहीं करें।
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