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करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत, भारतीय राजनीति के शिखरपुरुष, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की 101वीं जयंती ‘सुशासन दिवस’ पर उन्हें सादर नमन एवं वंदन करता हूँ।
श्रद्धेय अटल जी ने अपने जीवन में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना, सुशासन की परंपरा और राष्ट्रीय एकता को सर्वोपरि स्थान दिया। उनकी दूरदर्शी नीतियों ने भारत को आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। अटल जी वह चेतना थें, जिन्होंने लोकतंत्र को शोर नहीं बल्कि संवाद सिखाया। उन्होंने राजनीति को सत्ता नहीं बल्कि सेवा और संस्कार की यात्रा बनाया।
उनका साहसिक नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति समर्पण सभी कार्यकर्ताओं के हृदय में सदैव जीवंत रहेगा एवं राष्ट्र व जनसेवा के उनके विचार और दृष्टिकोण हमेशा हमें प्रेरित करते रहेंगे।
🙏 कोटि-कोटि वंदन वीर शहीदों को 🙏
21 से 27 दिसंबर—ये सात दिन इतिहास के सबसे दर्दनाक और सबसे गौरवशाली दिन हैं। इन दिनों में दशम पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का पूरा परिवार धर्म और मानवता की रक्षा के लिए शहीद हो गया। साहिबज़ादों का बलिदान केवल इतिहास नहीं, यह हमारे स्वाभिमान और आस्था की अमर ज्योति है 🔥🙏। इन दिनों को याद करते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आंखें नम हो जाती हैं। #शहादत #गुरु_गोबिन्द_सिंह #इतिहास 🙏
बांग्लादेश इन दिनों भारी ऊर्जा संकट के मुहाने पर खड़ा है. वहां की मौजूदा सियासी हलचल और भारत के खिलाफ हो रही बयानबाजी के बीच एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि बांग्लादेश की ‘रोशनी’ की डोर काफी हद तक भारत के हाथों में है. अगर कूटनीतिक रिश्तों में थोड़ी भी खटास बढ़ी और इसका असर व्यापार पर पड़ा, तो पड़ोसी मुल्क का एक बड़ा हिस्सा अंधेरे में डूब सकता है. हालात यह हैं कि वहां की बिजली आपूर्ति के लिए भारत अब सिर्फ एक पड़ोसी नहीं, बल्कि एक ‘लाइफलाइन’ बन चुका है.
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वर्ष का अंतिम सप्ताह: क्रिसमस की खुशी या गुरु गोविंद सिहं के बलिदान पर शोक?
ये जो सप्ताह अभी चल रहा है (21 दिसम्बर से लेकर 27 दिसम्बर तक) इन्ही 7 दिनों में गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा परिवार शहीद हो गया था। 21 दिसम्बर को गुरू गोविंद सिंह द्वारा परिवार सहित आनंदपुर साहिब किला छोङने से लेकर 27 दिसम्बर तक के इतिहास को हम भूला बैठे हैं?
एक ज़माना था जब यहाँ पंजाब में इस हफ्ते सब लोग ज़मीन पर सोते थे क्योंकि माता गूजर कौर ने वो रात दोनों छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह व फतेह सिंह) के साथ, नवाब वजीर खां की गिरफ्त में – सरहिन्द के किले में – ठंडी बुर्ज में गुजारी थी। यह सप्ताह सिख इतिहास में शोक का सप्ताह होता है।
पर आज देखते हैं कि पंजाब समेत पूरा हिन्दुस्तान क्रिसमस के जश्न में डूबा हुआ है एक दूसरे को बधाई दी जा रही हैं
गुरु गोबिंद सिंह जी की कुर्बानियों को इस अहसान फरामोश मुल्क ने सिर्फ 300 साल में भुला दिया??
जो कौमें अपना इतिहास – अपनी कुर्बानियाँ – भूल जाती हैं वो खुद इतिहास बन जाती है।
आज हर भारतीय को विशेषतः युवाओं व बच्चों को इस जानकारी से अवगत कराना जरुरी है। हर भारतीय को क्रिसमस नही, हिन्दुस्थान के हिन्दू शहजादों को याद करना चाहिये।
यह निर्णय आप ही को करना है कि 25 दिसंबर (क्रिसमस) को महात्त्वता मिलनी चाहिए या फिर क़ुरबानी की इस अनोखी.. शायद दुनिया की इकलौती मिसाल को
21 दिसंबर:
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला छोड़ा।
22 दिसंबर:
गुरु साहिब अपने दोनों बड़े पुत्रों सहित चमकौर के मैदान में पहुंचे और गुरु साहिब की माता और छोटे दोनों साहिबजादों को गंगू नामक ब्राह्मण जो कभी गुरु घर का रसोइया था उन्हें अपने साथ अपने घर ले आया।
चमकौर की जंग शुरू और दुश्मनों से जूझते हुए गुरु साहिब के बड़े साहिबजादे श्री अजीत सिंह उम्र महज 17 वर्ष और छोटे साहिबजादे श्री जुझार सिंह उम्र महज 14 वर्ष अपने 11 अन्य साथियों सहित मजहब और मुल्क की रक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुए।
ट्रैफिक जाम के बीच एक महिला अनानास चुराती हुई कैमरे में कैद हुई.
सोशल मीडिया पर वाइरल वीडियो में देखा जा सकता है.
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