साभार: बाबरनामा
बाबर एक होमोसेक्शुअल चाइल्ड रेपिस्ट था। बाबरी 14 साल का लड़का था जिससे बाबर 'प्यार' करता था। बाबरनामा में इसका साफ़ ज़िक्र है। इससे पहले कि मुसलमान बाबरी मस्जिद पर रोएं, पहले यह साफ़ कर लें - क्या इस्लाम में होमोसेक्शुअल चाइल्ड रेपिस्ट के 'लव इंटरेस्ट' के नाम पर मस्जिद बनाना सही है? बाबर का प्यार एक कमसिन लौंडा था- बाबुरी/बाबरी। बाबरी/ बाबुरी बाबर के ज़िंदगी का पहला प्यार था। बाबर ने अपनी डायरी में खुद ऐसा कहा है। बाबुरी कौन था? बाबुरी अंदीजानी एक जवान आदमी दुकान का अटेंडेंट था। अंदीजानी सरनेम से पता चलता है कि परिवार की जड़ें उज़्बेकिस्तान के अंदीजान शहर से थी। क्योंकि यह सरनेम उज्ज्बेक में आज भी मिल जाएगा।
बाबर बातचीत करने में बहुत शर्मीला था। कविता लिखने के लिए अकेले पहाड़ियों पर चला जाता। हालाँकि बाबर अपने क्रश के लुक के बारे में नहीं बताता है, लेकिन गोल, बिना दाढ़ी वाला चेहरा और उभरी हुई भौहें सोलहवीं सदी के ब्यूटी आइडियल्स को दिखाती है। बाबर लिखता है, “इसी दौरान, कैंप मार्केट में एक लड़का था जिसका नाम बाबुरी था। उसका नाम भी बहुत सही था। (मुझ जैसा था)। मेरे मन में उसके लिए एक अजीब सा झुकाव पैदा हो गया था—बल्कि मैंने खुद को उसके लिए दुखी कर लिया था। यहां दुखी का अर्थ इश्क भाव से है। आगे कहता है, 'इस अनुभव से पहले मुझे कभी किसी के लिए इच्छा महसूस नहीं हुई थी, न ही मैंने प्यार और स्नेह की बातें सुनी थीं या ऐसी बातें की थीं। उस समय मैं फ़ारसी में एक लाइन और दोहे लिखता था। मैंने वहाँ ये लाइनें लिखीं: ‘कोई भी प्यार में इतना परेशान और तबाह न हो जितना मैं; कोई भी प्रेमी तुम्हारे जितना बेरहम और लापरवाह न हो।’
कभी-कभी बाबुरी मेरे पास आता था, लेकिन मैं इतना शर्मीला था कि मैं उसका चेहरा भी नहीं देख पाता था, उससे खुलकर बात करना तो दूर की बात थी। अपने उत्साह और बेचैनी में मैं न तो उसके आने के लिए शुक्रिया अदा कर पाता था, और न ही उसके जाने की शिकायत कर पाता था। वफ़ादारी की रस्मों की मांग कौन कर सकता है? एक दिन, इस दीवानगी के समय में, एक समूह मेरे साथ एक गली में जा रहा था और अचानक मैं उस लड़के के आमने-सामने आ गया। मुझे इतनी शर्म आ रही थी कि मैं लगभग टूट गया था। उसे सीधे देखने या ठीक से बात करने का कोई मौका नहीं था। सो शर्मिंदगी और मुश्किलों के बाद मैं उससे आगे निकल पाया। सालेह की ये लाइनें मेरे दिमाग में आईं: ‘जब भी मैं अपने प्यार को देखता हूँ तो शर्मिंदा होता हूँ। मेरे साथी मुझे देख रहे होते हैं, लेकिन मेरी नज़र कहीं और होती है।’ यह कमाल की बात है कि यह लाइन कितनी सही थी। प्यार के जोश में, जवानी और पागलपन की आग में, मैं नंगे सिर और नंगे पैर गलियों और बागों और बगीचों में घूमता रहा, जान-पहचान वालों या अनजान लोगों पर कोई ध्यान नहीं देता था, खुद और दूसरों से बेखबर।
‘जब मुझे प्यार हुआ तो मैं पागल और दीवाना हो गया। मुझे नहीं पता था कि खूबसूरत लोगों से प्यार करने का यह भी हिस्सा है।’ कभी-कभी मैं पागलों की तरह अकेले पहाड़ियों और जंगल में निकल जाता था, कभी-कभी मैं शहर के बागों और गलियों में घूमता था, न अपनी मर्ज़ी से चलता था न बैठता था, जाने-आने में बेचैन रहता था रुकना। ‘मुझमें जाने की ताकत नहीं है, रुकने की ताकत नहीं है। तुमने हमें इस हालत में फंसा दिया है, मेरे दिल।’”
बाबर को उसकी पहली शादी में कोई दिलचस्पी थी। बाबर बावजूद उस बाबरी पर फ़िदा था। बाबरी के इश्क में लिए लिखे गए उसके दोहे पर ध्यान दिया जाए। बाबर इसके प्यार में इतना पागल था कि वह बाबरी के लिए अपने प्यार को बताने के लिए रेगुलर दोहे लिखता था। जैसे-
• मेरे अंदर से ही इच्छा ने मुझे दौड़ाया, बिना यह जाने कि एक परी-चेहरे वाले प्रेमी के साथ ऐसा होता है।
• न तो जाने की ताकत थी, न रुकने की; मैं तो बस वैसा ही था जैसा तुमने मुझे बनाया, ओ मेरे दिल के चोर।
तो ये है आशिकी के कुछ अल्फ़ाज़ जो बाबर अपनी बाबरी के लिए लिखता था। अब मुझे ये नहीं पता कि घोड़ा बाबर चलाता था या बाबरी चलाता था। लेकिन दोनों के बीच घोड़ा चलता तो जरूर था।
स्रोत : थैकस्टन, व्हीलर एम., ट्रांस. द बाबरनामा: मेमॉयर्स ऑफ़ बाबर, प्रिंस एंड एम्परर।