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वर्तमान में दुनिया का सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर, "फ्रंटियर", अमेरिका में है। यह प्रति सेकंड 1.1 क्विंटलियन से अधिक गणना कर सकता है, जो मानव मस्तिष्क की तुलना में लाखों गुना तेज है।

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"शब्द नोट कर लीजिए-अब खेल बदलने वाला है!

पश्चिम बंगाल हो या तमिलनाडु, NDA अपनी सरकार बनाकर ही दम लेगा। बूथ-बूथ पर माहौल साफ है... लोग बदलाव चाहते हैं और बदलाव आकर रहेगा!"

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प्रियंका गांधी का दावा "नेहरू ने AIIMS नहीं बनवाया होता, तो हम कोरोना काल का सामना कैसे करते?"

संबित पात्रा का पलटवार "अगर सब कुछ नेहरू ने ही किया, तो फिर राजकुमारी अमृत कौर ने AIIMS के लिए अपने निजी कोष से पैसे क्यों दिए थे?"

राजकुमारी अमृत कौर ने न केवल व्यक्तिगत रूप से आर्थिक दान किया था, बल्कि शिमला में अपनी पैतृक संपत्ति 'मैनरविले' को नर्सों और कर्मचारियों के अवकाश गृह के रूप में भी दान कर दिया।

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रोज़ सुबह करें इन चार मंत्रों का जाप, बदल जायेगा जीवन। 🙏🏼📿🔥

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मिस्र के फराओ मन्दिर एक बार टूटे, फिर कभी न बन सके और मिस्र समाप्त हो गया। फारस के अग्नि मन्दिर एक बार टूटे फिर वहाँ कभी अग्नि की आराधना नहीं हुई। फारस समाप्त हो गया।
यूनान में एक बार उनके देवताओं को शैतान बता कर उनके मंदिरों को ध्वस्त किया गया, उसके बाद फिर कभी ग्रीस खड़ा नहीं हुआ। अब कोई ज्यूस या अपोलो को नहीं पूजता...
ओलंपिक पर्वत पर अवस्थित उनके द्वादश देवों का कोई नामलेवा नहीं...
प्राचीन रोमन धर्म के मंदिर एक बार खंडित हुए, फिर कभी न बन सके।
रोम समाप्त हो गया, ज्यूपिटर के अनुयायी समाप्त हो गए।
मेसोपोटामिया की सभ्यता पर एक बार सिकन्दर का आक्रमण हुआ और एक झटके में वह सभ्यता समाप्त हो गयी। उनके देवताओं का अब किसी को नाम तक ज्ञात नहीं...
अब आप यूनानी सभ्यता के बारह देवों (द्वादश देव) की समानता भारत में ढूंढ पा रहे हों तो आइए काशी चलते हैं।
संसार की समस्त सभ्यताओं पर हुए सारे बर्बर आक्रमणों को एक में मिला दें, तब भी उनसे अधिक आक्रमण महादेव की काशी पर हुए हैं।
पर निहारिये राम मंदिर को जो सदियों तक टूटा रहा और फिर उठ खड़ा हुआ सैकड़ो युद्धों के बाद हज़ारो बलिदानों के बाद ।
पर निहारिये काशी को! भारत के उस सबसे प्राचीन नगर के वैभव को, और महादेव का जलाभिषेक करने के लिए जुटती भक्तों की विशाल भीड़ को...
हर्षातिरेक से फहरा उठे आपके रोम रोम चिल्लायेंगे, हर हर महादेव! संसार के सारे असभ्य मिल कर भी सभ्यता का नाश नहीं कर पाते!
धर्म कभी भी समाप्त नहीं होता। हम कभी भी समाप्त नहीं हो सकते...
सभ्यता धर्मकाज के लिए कब किसका चयन करेगी, यह कोई नहीं जानता। काशी कैसे अपने भक्तों को बुला कर उनके पाप धोती है,
इसका अद्भुत उदाहरण देखिये। जब मोहम्मद गोरी और ऐबक ने काशी का विध्वंस किया, तब जानते हैं वहाँ के मंदिरों और घाटों का पुनर्निमाण किसने कराया?
कन्नौज नरेश जयचंद के पुत्र राजा हरिश्चंद्र ने! और वह भी तब जब चन्दावर के युद्ध मे वे गोरी की सेना से पराजित हो गए थे। और सिकन्दर लोदी के समय हुए ध्वंस को ठीक कराया अकबर के दरबार में रहने वाले राजा मानसिंह और राजा टोडरमल ने...
राजनैतिक कारणों से लोग भले हजार टुकड़ों में टूट जांय, महादेव की शरण मे आकर सभी एक हो जाते हैं।
क्या ब्राह्मण, क्या ठाकुर, क्या यादव, क्या गुर्जर, क्या वैश्य क्या दलित ... क्या भाजपा, क्या कांग्रेस क्या सपा क्या राजद... राजनीति तोड़ती है, पर धर्म जोड़ता है...
काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने तुड़वाया तो एक दीवाल छोड़ दी उसने। यह इसलिये, कि काशी आने वाले लोग देख लें कि हम उनके देवस्थलों का स्वरूप जब चाहें तब बदल सकते हैं, और वे कुछ नहीं कर सकते। सुन कर बुरा लगा न? पर ऐसी बुराई का उत्तर सभ्यता कैसे देती है, यह देखिये।
उस घटना के लगभग सौ वर्ष बाद जब राजमाता अहिल्याबाई होलकर जी ने मन्दिर का निर्माण किया तो उसके कुछ दिनों बाद ही महाराजा रणजीत सिंह जी ने मन्दिर के दोनों शिखरों को सोने से मढ़वा दिया। दिल्ली में बैठे मुगलों के आंखों के सामने मन्दिर पर बाईस मन सोना चढ़ा कर कहा, कि देख! लुटेरों की सेंधमारी से सभ्यता का वैभव समाप्त नहीं होता। तोड़ने वाले समाप्त हो जाते हैं, रचने वाले समाप्त नहीं होते...
महादेव की काशी जाइये तो संसार की उस प्राचीनतम नगरी को इस भाव से भी देखिये कि शिव के त्रिशूल पर बसी यह कभी समाप्त न होने वाली नगरी है। विध्वंस से सभ्यता समाप्त नहीं होती, धर्म कभी समाप्त नहीं होता। महादेव अपने भक्तों को कभी अकेला नहीं छोड़ते।

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अपनी बेटी के लिए एक मां किस हद तक जा सकती है वो आपको इस माँ से पता चल जाएगा जो अपनी इकलौती बेटी को सुरक्षित बड़ा करने के लिए अपने जीवन के पूरे 36 साल तक खुद को पुरुष बनाकर जिया।

तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में रहने वाली पेचियम्मल की 20 साल की उम्र में ही शादी हो गई थी। शादी के 15 दिन ही बीते थे कि उनके पति की हार्ट अटैक की वजह से मौत हो गई। इसके नौ महीने बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया।

पति की मौत होने के कारण उनको अपना और बेटी का पेट पालने के लिए काम करना पड़ता था जिसके लिए वह बाहर जाती थीं। विधवा होने के कारण उन्हें नौकरी की तलाश में लगातार छेड़छाड़, शोषण और असुरक्षा का शिकार होना पड़ता था।

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