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संसार में जितने भी रिश्ते हैं पति पत्नी, माता पिता, बेटा बेटी ये सब सांसारिक रिश्ते हैं असली रिस्ता भगवान से है हम सबके सर्वेश्वर ठाकुर जी ही हैं |
Day 06 श्रीमद् भागवत कथा
दिनांक: 17 से 23 दिसंबर 2025
समय: सायं 30 से 60 बजे तक
स्थान: अग्रसेन फाउंडेशन, अग्रसेन रोड, क्लब 07, शेला, अहमदाबाद, गुजरात – 380058

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संसार में जितने भी रिश्ते हैं पति पत्नी, माता पिता, बेटा बेटी ये सब सांसारिक रिश्ते हैं असली रिस्ता भगवान से है हम सबके सर्वेश्वर ठाकुर जी ही हैं |
Day 06 श्रीमद् भागवत कथा
दिनांक: 17 से 23 दिसंबर 2025
समय: सायं 30 से 60 बजे तक
स्थान: अग्रसेन फाउंडेशन, अग्रसेन रोड, क्लब 07, शेला, अहमदाबाद, गुजरात – 380058

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Day 06 श्रीमद् भागवत कथा
दिनांक: 17 से 23 दिसंबर 2025
समय: सायं 30 से 60 बजे तक
स्थान: अग्रसेन फाउंडेशन, अग्रसेन रोड, क्लब 07, शेला, अहमदाबाद, गुजरात – 380058

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Day 06 श्रीमद् भागवत कथा
दिनांक: 17 से 23 दिसंबर 2025
समय: सायं 30 से 60 बजे तक
स्थान: अग्रसेन फाउंडेशन, अग्रसेन रोड, क्लब 07, शेला, अहमदाबाद, गुजरात – 380058

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सुनसान स्टेडियम में ना कोई जयकारा, ना तालियों की गूँज… सिर्फ तिरंगे के लिए दौड़ती ज्योथी और स्वर्ण जीत का भावुक क्षण...

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Two time Olympic medalist, World Champion, and a true symbol of consistency, discipline, and excellence. Neeraj Chopra continues to inspire a billion dreams with every throw.
Happy Birthday to India’s pride and javelin legend! 🎂🏅
#indianathlete #indiansports #neerajchopra

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बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले महान शिक्षाविद, प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ‘भारतरत्न’ महामना पं. मदनमोहन मालवीय जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन!
शिक्षा को राष्ट्र की आत्मा मानकर उन्होंने ज्ञान, चरित्र और संस्कार पर आधारित भारत निर्माण की मजबूत नींव रखी, जो आज भी देश की चेतना को दिशा दे रही है।

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कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और -
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।
किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में -
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

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कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और -
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।
किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में -
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

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कर्तव्य के पुनीत पथ को
हमने स्वेद से सींचा है,
कभी-कभी अपने अश्रु और -
प्राणों का अर्ध्य भी दिया है।
किंतु, अपनी ध्येय-यात्रा में -
हम कभी रुके नहीं हैं।
किसी चुनौती के सम्मुख
कभी झुके नहीं हैं।

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