إستكشف المشاركات استكشف المحتوى الجذاب ووجهات النظر المتنوعة على صفحة Discover الخاصة بنا. اكتشف أفكارًا جديدة وشارك في محادثات هادفة
वृंदावन के युवा और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय 5 दिसंबर को विवाह बंधन में बंधने जा रहे हैं. वह जयपुर के होटल ताज आमेर में हरियाणा की शिप्रा के साथ सात फेरे लेंगे.
विवाह से पहले की रस्में, जैसे हल्दी और संगीत वृंदावन के रमणरेती स्थित उनके आवास पर निभाई गईं. बुधवार को इंद्रेश महाराज की धूमधाम से घुड़चढ़ी हुई. ऑफ व्हाइट शेरवानी में सजे, पगड़ी पहने इंद्रेश महाराज बारात लेकर जयपुर के लिए रवाना हो गए. बारात में हाथी-घोड़े शामिल रहे. फेरों का समय 5 दिसंबर को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक निर्धारित है.
ये नियति का खेल है। इस तस्वीर में परेशान,बेहाल और अनमना सा दिखने वाला ये हिन्दुस्तानी लड़का एक मशहूर अदाकारा के साथ जर्मनी की एक मेट्रो में बैठा है जिसे वह नहीं जानता। देखते देखते ये तस्वीर तेज़ी से पूरे जर्मनी में वायरल हो जाती है।
मशहूर जर्मन मैगज़ीन “डेर स्पीगल” ने तस्वीर में दिख रहे भारतीय युवक को जर्मनी में ढूंढना शुरू किया। आखिरकार यह तलाश म्यूनिख में खत्म हुई, जहाँ पता चला कि वह भारतीय युवक गैर-कानूनी तरीके से जर्मनी में रह रहा है।
पत्रकार ने उससे पूछा: “क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे बगल में बैठी गोरी लड़की ‘मेसी विलियम्स’ थी—मशहूर सीरीज़ गेम ऑफ़ थ्रोन्स की हीरोइन? दुनिया भर में उसके लाखों फ़ैन हैं जो सिर्फ़ उसके साथ सेल्फ़ी लेने का सपना देखते हैं, लेकिन तुमने बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं किया। क्यों?”
युवक ने शांति से जवाब दिया:“जब तुम्हारे पास रहने का परमिट नहीं है, तुम्हारी जेब में एक भी यूरो नहीं है, और तुम हर दिन ट्रेन में ‘गैर-कानूनी’ तरीके से सफ़र करते हो, तो तुम्हें फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे बगल में कौन बैठा है।”
उसकी ईमानदारी और हालत से इम्प्रेस होकर, मैगज़ीन ने उसे 800 यूरो महीने की सैलरी पर पोस्टमैन की नौकरी ऑफ़र की। इस जॉब कॉन्ट्रैक्ट की वजह से, उसे तुरंत बिना किसी मुश्किल के रेगुलर रहने का परमिट मिल गया।
यह कहानी हमें बताती है कि नियति कैसे काम करती है। हर अगली घटना, पिछली घटना से जुड़ी है और हर मौजूदा घटना भविष्य की किसी घटना से। सबकुछ पूर्व नियोजित है। जैसे एक स्क्रिप्ट लिखी हुई है जिस पर जिंदगी की पिक्चर चल रही है। किसकी किस्मत में आगे क्या लिखा है ये किसी को नहीं मालूम।
एक समय था जब छोटे कद और 72% विकलांगता के कारण, NEET में अच्छी रैंक होने के बावजूद किसी भी मेडिकल कॉलेज ने गणेश बारैया को एडमिशन देने से मना कर दिया। तीन फीट की हाइट, 14 किलो वज़न और बच्चों जैसी आवाज़—इन सबको ‘कमज़ोरी’ मानकर उन्हें अनफिट कहा गया। लेकिन गणेश ने खुद को कमज़ोर नहीं माना। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, उन्होंने अपने सपने के लिए पूरी ताकत और हिम्मत के साथ लड़ाई लड़ी।
आज वही लड़का, जिसकी काबिलियत पर एक समय शक किया गया था, MBBS पूरा कर चुका है और भावनगर मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहा है।
डॉ. गणेश बारैया साबित करते हैं कि सपने कद से नहीं, हौसलों से बड़े होते हैं। यह सिर्फ़ उनकी जीत नहीं—हर उस इंसान की जीत है जिसे कभी कम आंका गया।
[Ganesh Baraiya, Inspirational Journey, Overcoming Disability, Determination & Grit, Never Give Up, Disability Rights
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से एक ऐसा भावनात्मक मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को नई परिभाषा दे दी। यहां एक नवजात शिशु को जन्म के कुछ ही घंटों बाद कंबल में लपेटकर सड़क पर फेंक दिया गया। सर्द रात में बच्चा घंटों तक रोता रहा, लेकिन हैरानी की बात यह है कि गली के आवारा कुत्तों ने पूरे रात इस मासूम की सुरक्षा की। सामान्यत: आवारा कुत्तों को लेकर लोगों में डर और शिकायतें रहती हैं, लेकिन इस घटना ने लोगों की सोच बदल दी। कुत्तों ने बच्चे को चारों तरफ से घेरकर किसी भी व्यक्ति या जानवर को उसके पास नहीं आने दिया, मानो वे उसकी पहरेदारी कर रहे हों।
सुबह जब स्थानीय लोग जागे, तो उन्होंने देखा कि कुत्ते गोला बनाकर बैठे हैं और बीच में कंबल में लिपटा बच्चा पड़ा है। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे पर चोट के निशान नहीं हैं, केवल सिर पर हल्का खून था, जो जन्म के दौरान लगा होगा। पुलिस को शक है कि बच्चे को जानबूझकर सुनसान इलाके में छोड़ा गया। फिलहाल बच्चे के माता-पिता की तलाश जारी है। यह घटना साबित करती है कि कभी-कभी जानवर भी इंसानों से ज्यादा इंसानियत दिखा देते हैं।
अमेरिका इस समय एक खतरनाक वायरल स्पाइक का सामना कर रहा है। “Winter Vomiting Disease” के नाम से पहचाने जाने वाला नोरोवायरस अचानक तेज़ी से फैल रहा है—और यही वजह है कि स्वास्थ्य एजेंसियां अब अलर्ट मोड में हैं।
सीडीसी के नए आंकड़ों के मुताबिक, नोरोवायरस की पॉज़िटिविटी दर 7% से बढ़कर 14% तक पहुंच गई है। सिर्फ एक हफ्ते में 2,700 से ज़्यादा टेस्ट हुए और लगभग 380 केस सामने आए। वहीं, स्टैनफोर्ड के WastewaterSCAN डेटा ने अपशिष्ट जल में 69% तक वृद्धि दिखाकर स्थिति को और गंभीर बताया है।
यह वायरस खासतौर पर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में तेजी से डिहाइड्रेशन और गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी पैदा कर सकता है। अचानक उल्टी–दस्त, तेज़ कमजोरी, पेट में ऐंठन, बुखार और सिरदर्द इसके मुख्य लक्षण हैं—और कई मामलों में ये कुछ ही घंटों में बढ़ जाते हैं।
सावधानी ही इस संक्रमण से बचाव का सबसे मजबूत उपाय है—बार-बार हाथ धोना, फूड हाइजीन, पकी हुई चीज़ें खाना, सतहों की सफाई और बीमार होने पर दूसरों से दूरी बनाना बेहद जरूरी है।