पेड़ों पर सफेद रंग इसलिए किया जाता है ताकि धूप की तेज़ गर्मी से तना न फटे, कीड़े या फफूंदी नहीं लगें। यह लेप नमी बढ़ाता है और पेड़ को सालभर हमेशा स्वस्थ रखता है। पेड़ों को नष्ट नहीं करें।
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पेड़ों पर सफेद रंग इसलिए किया जाता है ताकि धूप की तेज़ गर्मी से तना न फटे, कीड़े या फफूंदी नहीं लगें। यह लेप नमी बढ़ाता है और पेड़ को सालभर हमेशा स्वस्थ रखता है। पेड़ों को नष्ट नहीं करें।
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आलिया भट्ट के नए घर के गृह प्रवेश की कहानी खुद‑ब‑खुद एक इमोशनल फैमिली फ्रेम तैयार कर देती है, जिसमें परंपरा, प्यार और ग्लैमर तीनों का खूबसूरत संगम नजर आता है। इस रचनात्मक लेख को सिर्फ क्रिएटिव एंटरटेनमेंट कंटेंट समझा जाए, किसी तरह की आधिकारिक रिपोर्टिंग नहीं।
गृह प्रवेश के मौके पर आलिया भट्ट पति रणबीर कपूर के साथ पारंपरिक अंदाज में सजी‑धजी नज़र आती है। हल्के सोने या पीच शेड की रेशमी साड़ी, जूड़े में गजरा और मिनिमल जूलरी उनके पूरे लुक को रॉयल लेकिन सटल बना देते हैं, वहीं रणबीर सरल‑सी कुर्ता‑पायजामा या बंदगला में एक संजीदा लेकिन खुश दूल्हे जैसे लगते हैं। दरवाज़े पर पूजा की थाली, आरती की लौ और मंगल कलश के बीच जब दोनों साथ‑साथ कदम रखते हैं, तो ऐसा महसूस होता है जैसे सिर्फ नया घर नहीं, बल्कि ज़िंदगी का नया अध्याय भी शुरू हो रहा हो।
इस पूरे समारोह की सबसे प्यारी झलक छोटी सी राहा की है, जो अपने नन्हें हाथों से पूजा में हिस्सा लेती दिखाई देती है। कभी वह आलिया की उंगली पकड़कर दीया थामने की कोशिश करती है, तो कभी चावल के चुक्की या फूल की पंखुड़ियां थाली में डालते हुए मासूमियत से मुस्कुराती है। उसके छोटे‑छोटे कड़े, लाल धागा और हल्का‑सा पारंपरिक आउटफिट उसे बिल्कुल लाडली लक्ष्मी जैसा रूप दे देते हैं। देखने वालों को लगता है कि यह 250 करोड़ का बंगला हो या कोई साधारण घर, असली शुभ मुहूर्त तो उस पल में छिपा है जब बच्चा अपने छोटे हाथों से पहली बार घर की पूजा में शामिल होता है।
इमोशन का दूसरा मजबूत पल तब बनता है जब सास नीतू कपूर बहू आलिया को गले लगाती हैं। वर्षों से कपूर खानदान की गरिमा और पारिवारिक बंधन की पहचान रही नीतू जी का यह आलिंगन सिर्फ औपचारिक रस्म नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को दिल से अपनाने का इशारा लगता है। कल्पना कीजिए—पूजा खत्म होने के बाद नीतू आलिया को पास खींचकर आशीर्वाद देती हैं, माथे पर हाथ रखती हैं और फिर मुस्कुराते हुए गले से लगा लेती हैं; बैकग्राउंड में दीवार पर ऋषि कपूर की तस्वीर पर सजी फूलों की माला इस पूरे दृश्य को और भी भावुक बना देती है।
इस तरह यह कहानी महंगे इंटीरियर या आलीशान बंगले से आगे बढ़कर रिश्तों की गर्माहट पर केंद्रित हो जाती है। आलिया‑रणबीर का गृह प्रवेश, राहा के नन्हें हाथों की पूजा और नीतू कपूर का बहू के लिए प्यार भरा आलिंगन—ये तीनों मिलकर यह संदेश देते हैं कि घर ईंट‑सीमेंट से नहीं, बल्कि पीढ़ियों के बीच विश्वास, दुआओं और मुस्कुराहटों से बनता है। चाहे बाहर की दुनिया उन्हें सुपरस्टार कहे, इस क्षण में वे सिर्फ बेटा‑बहू, मां‑सास और नन्ही‑सी बेटी के रूप में एक बिल्कुल आम भारतीय परिवार की तरह दिखते हैं, और शायद यही simplicity इस पूरी कहानी को सबसे ज़्यादा खूबसूरत बना देती है।
सर्दियों के बढ़ते प्रभाव के बीच ठाकुर बांकेबिहारी जी के भोग और श्रृंगार में बदलाव किया गया है। अब फूलों की बजाय मोतियों की माला धारण कराई जा रही है और मंदिर की सजावट में भी फूलों का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है।
भोग में ड्राई फ्रूट्स, केसर और गर्म तासीर वाले व्यंजन शामिल किए गए हैं, ताकि सर्दी का असर ठाकुरजी पर न पड़े। सेवायतों ने ठंड के अनुसार ठाकुरजी के पहनावे और भोगराग में बदलाव किया है, जैसे ब्रज में माता अपने लड्डूगोपाल का ध्यान रखते हैं।
मंदिर की सजावट में अब कपड़े और गुब्बारों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि सर्द मौसम में भी आस्था और भव्यता बनी रहे। यह बदलाव श्रद्धालुओं को ठंड के बावजूद दर्शन का सुख सहजता से लेने में मदद कर रहा है।
सर्दियों में सावधानी और गर्म वातावरण का महत्व:
• ठंड से बचाव के लिए गर्म वस्त्र और वातावरण
• पोषण में गर्म और ऊर्जा देने वाले आहार
• बच्चों और संवेदनशील लोगों की तरह धार्मिक मूर्तियों का भी मौसम अनुसार ध्यान रखना
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