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पश्चिम बंगाल के नादिया जिले से एक ऐसा भावनात्मक मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को नई परिभाषा दे दी। यहां एक नवजात शिशु को जन्म के कुछ ही घंटों बाद कंबल में लपेटकर सड़क पर फेंक दिया गया। सर्द रात में बच्चा घंटों तक रोता रहा, लेकिन हैरानी की बात यह है कि गली के आवारा कुत्तों ने पूरे रात इस मासूम की सुरक्षा की। सामान्यत: आवारा कुत्तों को लेकर लोगों में डर और शिकायतें रहती हैं, लेकिन इस घटना ने लोगों की सोच बदल दी। कुत्तों ने बच्चे को चारों तरफ से घेरकर किसी भी व्यक्ति या जानवर को उसके पास नहीं आने दिया, मानो वे उसकी पहरेदारी कर रहे हों।
सुबह जब स्थानीय लोग जागे, तो उन्होंने देखा कि कुत्ते गोला बनाकर बैठे हैं और बीच में कंबल में लिपटा बच्चा पड़ा है। लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे पर चोट के निशान नहीं हैं, केवल सिर पर हल्का खून था, जो जन्म के दौरान लगा होगा। पुलिस को शक है कि बच्चे को जानबूझकर सुनसान इलाके में छोड़ा गया। फिलहाल बच्चे के माता-पिता की तलाश जारी है। यह घटना साबित करती है कि कभी-कभी जानवर भी इंसानों से ज्यादा इंसानियत दिखा देते हैं।
अमेरिका इस समय एक खतरनाक वायरल स्पाइक का सामना कर रहा है। “Winter Vomiting Disease” के नाम से पहचाने जाने वाला नोरोवायरस अचानक तेज़ी से फैल रहा है—और यही वजह है कि स्वास्थ्य एजेंसियां अब अलर्ट मोड में हैं।
सीडीसी के नए आंकड़ों के मुताबिक, नोरोवायरस की पॉज़िटिविटी दर 7% से बढ़कर 14% तक पहुंच गई है। सिर्फ एक हफ्ते में 2,700 से ज़्यादा टेस्ट हुए और लगभग 380 केस सामने आए। वहीं, स्टैनफोर्ड के WastewaterSCAN डेटा ने अपशिष्ट जल में 69% तक वृद्धि दिखाकर स्थिति को और गंभीर बताया है।
यह वायरस खासतौर पर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में तेजी से डिहाइड्रेशन और गंभीर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानी पैदा कर सकता है। अचानक उल्टी–दस्त, तेज़ कमजोरी, पेट में ऐंठन, बुखार और सिरदर्द इसके मुख्य लक्षण हैं—और कई मामलों में ये कुछ ही घंटों में बढ़ जाते हैं।
सावधानी ही इस संक्रमण से बचाव का सबसे मजबूत उपाय है—बार-बार हाथ धोना, फूड हाइजीन, पकी हुई चीज़ें खाना, सतहों की सफाई और बीमार होने पर दूसरों से दूरी बनाना बेहद जरूरी है।
today successfully carried out a high-speed rocket-sled test of a fighter aircraft escape system at 800 km/h, validating canopy detachment, pilot ejection and full aircrew recovery. The trial, conducted at the Rail Track Rocket Sled (RTRS) facility of TBRL in Chandigarh, marks another milestone in India’s ejection-system development.