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क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा सेठ भी हुआ, जिसे मुगल बादशाह सलाम करते थे और अंग्रेज उसके सामने कर्जदार बनकर खड़े होते थे!
हाँ एक ऐसा भारतीय जिसके खजानों को देखकर दुनिया दंग रह जाती थी जिसके पास इतनी दौलत थी कि आज के एलन मस्क जेफ बेजोस सबकी मिलाकर भी कम पड़ जाए।
लेकिन सोचिए जो आदमी पूरी दुनिया को उधार देता था
वही आखिर में खुद कंगाल कैसे हो गया
कैसे एक अजेय साम्राज्य इतिहास की धूल में गुम हो गया
यह है भारत के भूले-बिसरे अरबपति जगत सेठ
वो नाम जिसे संसार कहता था दुनिया का सेठ
और आज उसके वंशज कहाँ हैं किसी को पता भी नहीं।
अंग्रेज और मुगलों को कर्ज देता था यह भारतीय सेठ जानें कहां और कैसे हैं उसके वंशज
हम बात कर रहे हैं भारत के सबसे धनी कारोबारी परिवार जगत सेठ की। आज की तारीख में एलन मस्क जेफ बेजोस और बिल गेट्स जैसी हस्तियों की दौलत भी इनके सामने कम ही लगती। हिसाब से देखें तो जगत सेठ के पास आज के मूल्य में करीब 8.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। मुगलों से लेकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तक सभी इनसे कर्ज लेते थे।जगत सेठ परिवार की शुरुआत
18वीं सदी के बंगाल में फतेह चंद नाम के बैंकर को जगत सेठ यानी दुनिया का सेठ की उपाधि दी गई। इस परिवार की जड़ें पटना के माणिक चंद से जुड़ी थीं जो 1700 के दशक की शुरुआत में ढाका व्यापार के लिए पहुंचे। जब बंगाल की राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद शिफ्ट हुई, माणिक चंद भी वहां चले आए और नवाबों के विश्वसनीय वित्तीय सलाहकार बन गए। 1712 में दिल्ली के बादशाह फर्रुखसियर ने उन्हें ‘नागर सेठ’ की उपाधि दी।परिवार का उदय
1714 में माणिक चंद के निधन के बाद उनके दत्तक पुत्र फतेह चंद ने व्यापार संभाला और परिवार की शक्ति कई गुना बढ़ गई। ईस्ट इंडिया कंपनी भी इनसे सोना-चांदी खरीदती थी और जरूरत पड़ने पर कर्ज लेती थी।
ब्रिटिश इतिहासकार रॉबर्ट ओर्मे के अनुसार मुगल साम्राज्य में यह हिंदू बैंकर परिवार सबसे धनी माना जाता था। मुर्शिदाबाद की राजनीति और प्रशासन पर इनका गहरा प्रभाव था।बैंकिंग का साम्राज्य
जगत सेठों की संपत्ति की तुलना उस दौर के बैंक ऑफ इंग्लैंड से की जाती थी। वे बंगाल सरकार के लिए राजस्व वसूलते सरकारी खजाने का रख-रखाव करते सिक्के ढालते और विदेशी मुद्रा का लेन-देन संभालते थे। कई विवरण बताते हैं कि 1720 के दशक में इनकी कुल दौलत ब्रिटिश अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा थी। माना जाता है कि इनके पास इतना नकद था कि इंग्लैंड के सभी बैंकों को मिलाकर भी उनसे कम धन होता।उत्तराधिकार और राजनीति में भूमिका
फतेह चंद के बाद 1744 में उनका पोता महताब चंद आगे आए। महताब चंद और महाराजा स्वरूप चंद का असर अलीवर्दी खान के समय बेहद मजबूत था। लेकिन सिराजुद्दौला के नवाब बनने के बाद स्थितियां बदल गईं। जगत सेठों ने अंग्रेजों का साथ देकर उसके खिलाफ रणनीति बनाई जिसके परिणामस्वरूप 1757 की प्लासी की लड़ाई हुई और बंगाल ब्रिटिश शासन में चला गया।इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति लगातार गिरती गई। कंपनी ने उनका भारी कर्ज कभी लौटाया ही नहीं। 1857 के विद्रोह ने इस परिवार को अंतिम झटका दिया।
आज इनके वंशज कहां हैं? 1900 के आसपास यह परिवार सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह गायब हो गया। उनके वारिस आज कहां हैं यह किसी को नहीं पता ठीक उसी तरह जैसे कई प्रतिष्ठित वंश समय के साथ इतिहास में खो जाते हैं। मुर्शिदाबाद में हजादुआरी पैलेस के पास बना जगत सेठ का भव्य महल आज एक संग्रहालय में बदल चुका है जहां केवल उनकी कभी न खत्म होने वाली समृद्धि की झलक मात्र बची है। एक समय दुनिया का सबसे अमीर भारतीय परिवार आज इतिहास की धूल में दफन एक कहानी बनकर रह गया है।
क्या आप जानते हैं भारत में एक ऐसा सेठ भी हुआ, जिसे मुगल बादशाह सलाम करते थे और अंग्रेज उसके सामने कर्जदार बनकर खड़े होते थे!
हाँ एक ऐसा भारतीय जिसके खजानों को देखकर दुनिया दंग रह जाती थी जिसके पास इतनी दौलत थी कि आज के एलन मस्क जेफ बेजोस सबकी मिलाकर भी कम पड़ जाए।
लेकिन सोचिए जो आदमी पूरी दुनिया को उधार देता था
वही आखिर में खुद कंगाल कैसे हो गया
कैसे एक अजेय साम्राज्य इतिहास की धूल में गुम हो गया
यह है भारत के भूले-बिसरे अरबपति जगत सेठ
वो नाम जिसे संसार कहता था दुनिया का सेठ
और आज उसके वंशज कहाँ हैं किसी को पता भी नहीं।
अंग्रेज और मुगलों को कर्ज देता था यह भारतीय सेठ जानें कहां और कैसे हैं उसके वंशज
हम बात कर रहे हैं भारत के सबसे धनी कारोबारी परिवार जगत सेठ की। आज की तारीख में एलन मस्क जेफ बेजोस और बिल गेट्स जैसी हस्तियों की दौलत भी इनके सामने कम ही लगती। हिसाब से देखें तो जगत सेठ के पास आज के मूल्य में करीब 8.3 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी। मुगलों से लेकर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी तक सभी इनसे कर्ज लेते थे।जगत सेठ परिवार की शुरुआत
18वीं सदी के बंगाल में फतेह चंद नाम के बैंकर को जगत सेठ यानी दुनिया का सेठ की उपाधि दी गई। इस परिवार की जड़ें पटना के माणिक चंद से जुड़ी थीं जो 1700 के दशक की शुरुआत में ढाका व्यापार के लिए पहुंचे। जब बंगाल की राजधानी ढाका से मुर्शिदाबाद शिफ्ट हुई, माणिक चंद भी वहां चले आए और नवाबों के विश्वसनीय वित्तीय सलाहकार बन गए। 1712 में दिल्ली के बादशाह फर्रुखसियर ने उन्हें ‘नागर सेठ’ की उपाधि दी।परिवार का उदय
1714 में माणिक चंद के निधन के बाद उनके दत्तक पुत्र फतेह चंद ने व्यापार संभाला और परिवार की शक्ति कई गुना बढ़ गई। ईस्ट इंडिया कंपनी भी इनसे सोना-चांदी खरीदती थी और जरूरत पड़ने पर कर्ज लेती थी।
ब्रिटिश इतिहासकार रॉबर्ट ओर्मे के अनुसार मुगल साम्राज्य में यह हिंदू बैंकर परिवार सबसे धनी माना जाता था। मुर्शिदाबाद की राजनीति और प्रशासन पर इनका गहरा प्रभाव था।बैंकिंग का साम्राज्य
जगत सेठों की संपत्ति की तुलना उस दौर के बैंक ऑफ इंग्लैंड से की जाती थी। वे बंगाल सरकार के लिए राजस्व वसूलते सरकारी खजाने का रख-रखाव करते सिक्के ढालते और विदेशी मुद्रा का लेन-देन संभालते थे। कई विवरण बताते हैं कि 1720 के दशक में इनकी कुल दौलत ब्रिटिश अर्थव्यवस्था से भी ज्यादा थी। माना जाता है कि इनके पास इतना नकद था कि इंग्लैंड के सभी बैंकों को मिलाकर भी उनसे कम धन होता।उत्तराधिकार और राजनीति में भूमिका
फतेह चंद के बाद 1744 में उनका पोता महताब चंद आगे आए। महताब चंद और महाराजा स्वरूप चंद का असर अलीवर्दी खान के समय बेहद मजबूत था। लेकिन सिराजुद्दौला के नवाब बनने के बाद स्थितियां बदल गईं। जगत सेठों ने अंग्रेजों का साथ देकर उसके खिलाफ रणनीति बनाई जिसके परिणामस्वरूप 1757 की प्लासी की लड़ाई हुई और बंगाल ब्रिटिश शासन में चला गया।इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति लगातार गिरती गई। कंपनी ने उनका भारी कर्ज कभी लौटाया ही नहीं। 1857 के विद्रोह ने इस परिवार को अंतिम झटका दिया।
आज इनके वंशज कहां हैं? 1900 के आसपास यह परिवार सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह गायब हो गया। उनके वारिस आज कहां हैं यह किसी को नहीं पता ठीक उसी तरह जैसे कई प्रतिष्ठित वंश समय के साथ इतिहास में खो जाते हैं। मुर्शिदाबाद में हजादुआरी पैलेस के पास बना जगत सेठ का भव्य महल आज एक संग्रहालय में बदल चुका है जहां केवल उनकी कभी न खत्म होने वाली समृद्धि की झलक मात्र बची है। एक समय दुनिया का सबसे अमीर भारतीय परिवार आज इतिहास की धूल में दफन एक कहानी बनकर रह गया है।
ये नियति का खेल है। इस तस्वीर में परेशान,बेहाल और अनमना सा दिखने वाला ये हिन्दुस्तानी लड़का एक मशहूर अदाकारा के साथ जर्मनी की एक मेट्रो में बैठा है जिसे वह नहीं जानता। देखते देखते ये तस्वीर तेज़ी से पूरे जर्मनी में वायरल हो जाती है।
मशहूर जर्मन मैगज़ीन “डेर स्पीगल” ने तस्वीर में दिख रहे भारतीय युवक को जर्मनी में ढूंढना शुरू किया। आखिरकार यह तलाश म्यूनिख में खत्म हुई, जहाँ पता चला कि वह भारतीय युवक गैर-कानूनी तरीके से जर्मनी में रह रहा है।
पत्रकार ने उससे पूछा: “क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे बगल में बैठी गोरी लड़की ‘मेसी विलियम्स’ थी—मशहूर सीरीज़ गेम ऑफ़ थ्रोन्स की हीरोइन? दुनिया भर में उसके लाखों फ़ैन हैं जो सिर्फ़ उसके साथ सेल्फ़ी लेने का सपना देखते हैं, लेकिन तुमने बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं किया। क्यों?”
युवक ने शांति से जवाब दिया:“जब तुम्हारे पास रहने का परमिट नहीं है, तुम्हारी जेब में एक भी यूरो नहीं है, और तुम हर दिन ट्रेन में ‘गैर-कानूनी’ तरीके से सफ़र करते हो, तो तुम्हें फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे बगल में कौन बैठा है।”
उसकी ईमानदारी और हालत से इम्प्रेस होकर, मैगज़ीन ने उसे 800 यूरो महीने की सैलरी पर पोस्टमैन की नौकरी ऑफ़र की। इस जॉब कॉन्ट्रैक्ट की वजह से, उसे तुरंत बिना किसी मुश्किल के रेगुलर रहने का परमिट मिल गया।
Happy Indian Navy Day!
"Honoring the brave sol****rs who guard our seas with courage, discipline, and unwavering commitment. Their strength protects our nation, and their sacrifice inspires every Indian."
#indiannavyday #navyday2025 #proudindian #guardiansofthesea #indianarmedforces #navyheroes #salutetothenavy #incredibleindia #serviceandsacrifice #jaihind
समय होत बलवान 👏🫶👍
रूस यात्रा में अटल जी और पुतिन के साथ पीछे खड़े मोदी और यशवंत सिंह जी।🙏
समय-समय की बात है तब कौन जानता था कि यह व्यक्ति जो आज पीछे खड़ा है कल न सिर्फ बराबरी पर बल्कि पूरी दमदारी से होगा।
करीब पच्चीस वर्ष पुरानी फ़ोटो! जब अटल जी प्रधानमंत्री थे तब मोदी जी बस एक महीने पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। यशवंत सिंह विदेश मंत्री थे।
#narendramodi #putinvisit #rusia #india
समय होत बलवान 👏🫶👍
रूस यात्रा में अटल जी और पुतिन के साथ पीछे खड़े मोदी और यशवंत सिंह जी।🙏
समय-समय की बात है तब कौन जानता था कि यह व्यक्ति जो आज पीछे खड़ा है कल न सिर्फ बराबरी पर बल्कि पूरी दमदारी से होगा।
करीब पच्चीस वर्ष पुरानी फ़ोटो! जब अटल जी प्रधानमंत्री थे तब मोदी जी बस एक महीने पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। यशवंत सिंह विदेश मंत्री थे।
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समय होत बलवान 👏🫶👍
रूस यात्रा में अटल जी और पुतिन के साथ पीछे खड़े मोदी और यशवंत सिंह जी।🙏
समय-समय की बात है तब कौन जानता था कि यह व्यक्ति जो आज पीछे खड़ा है कल न सिर्फ बराबरी पर बल्कि पूरी दमदारी से होगा।
करीब पच्चीस वर्ष पुरानी फ़ोटो! जब अटल जी प्रधानमंत्री थे तब मोदी जी बस एक महीने पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। यशवंत सिंह विदेश मंत्री थे।
#narendramodi #putinvisit #rusia #india
